छंद गीत #हिंदी दिवस प्रतियोगिता लेखनी -18-Sep-2022
सृजन शब्द -भावना
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जिसकी जैसी रही भावना, प्रभु फल देते हैं वैसा।
कर्म बड़ा है सब धर्मों से, इसके बिन जीवन कैसा।।
अपनी किस्मत खुद लिखते हो, इस सच्चाई को मानो।
गलत कभी भी करना मत तुम ,भला बुरा क्या है जानो।।
कभी मेहनत से मत डरना, तभी कमाओगे पैसा।
कर्म बड़ा है सब धर्मों से, इसके बिन जीवन कैसा।।(1)
भाग्य भरोसे तुम मत रहना , कर्म सदा करते जाना।
तुम्हें सफलता तभी मिलेगी ,जब खुद को ही पहचाना।।
राह पत्थरीली न मिलेगी, समझ न लेना तुम ऐसा।
कर्म बड़ा है सब धर्मों से ,इसके बिन जीवन कैसा।।(2)
भले बुरे सब लोग मिलेंगे, तुम मत खा जाना धोखा।
रखो भरोसा खुद पर हरदम, दुनिया एक बड़ा सोखा।।
बहकाऐंगे लोग भले ही, बनना मत उनके जैसा।
कर्म बड़ा है सब धर्मों से, इसके बिन जीवन कैसा।।(3)
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कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी
Shashank मणि Yadava 'सनम'
25-Sep-2022 06:08 PM
बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ,,,,, पथरीली होता है जी अगर मात्रा भार के लिए लिखा गया है तो कोई बात नहीं,,, बहकाएंगे होगा जी ए होगा ऐ नहीं होगा
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Pratikhya Priyadarshini
22-Sep-2022 12:27 PM
Achha likha hai 💐
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आँचल सोनी 'हिया'
21-Sep-2022 12:30 AM
Achha likha hai 💐
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